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क्या समलैंगिक शादियों को मिलेगी कानूनी मान्यता! सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

समलैंगिक विवाह (Gay marriage) को कानूनी वैधता प्रदान करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी खबर सामने आ रही है। ऐसे में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। यह सुनवाई CJI D. Y. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति P. S. नरसिम्हा और J. B. पारदीवाला की बेंच करेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को क्लब और अपने पास स्थानांतरित कर लिया था।

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इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा था कि, केन्द्र की ओर से पेश हो रहे वकील तथा याचिका दायर करने वालों की अधिवक्ता अरुंधति काटजू साथ मिलकर सभी लिखित सूचनाओं, दस्तावेजों और पुराने उदाहरणों को जल्द ही एकत्र करें, जिनके आधार पर सुनवाई के दौरान भरोसा किया जा सके।

 

विदित हो कि, बेंच ने 6 जनवरी के अपने आदेश में कहा था कि, ‘‘शिकायतों की सॉफ्ट कॉपी (डिजिटल कॉपी) पक्षकार आपस में साझा करें और उसे अदालत को भी उपलब्ध कराएं। सभी याचिकाओं और हस्तांतरित मामलों के साथ याचिका को 13 मार्च, 2023 को निर्देश के लिए सूचीबद्ध करें।”

जानकारी के अनुसार, विभिन्न याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने पीठ से अनुरोध किया था कि, वह इस मामले में आधिकारिक फैसले के लिए सभी मामलों को अपने पास स्थानंतरित करें और केन्द्र भी अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में ही दे।

CJI चंद्रचूड़ करेंगे सुनवाई

अदालत ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित दो याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित करने के संबंध में 14 दिसंबर, 2022 को केन्द्र सरकार से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि, 2018 में आपसी सहमति से किए गए समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में जस्टिस चन्द्रचूड़ भी शामिल थे।

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने पिछले साल नवंबर में केन्द्र को इस संबंध में नोटिस जारी किया था और याचिकाओं के संबंध में महाधिवक्ता आर. वेंकटरमणी की मदद भी मांगी थी।

 

शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने छह सितंबर, 2018 को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश में वयस्कों के बीच आपसी सहमति से निजी स्थान पर बनने वाले समलैंगिक या विपरीत लिंग के लोगों के बीच यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।

 

इसके साथ ही जिन याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने पिछले साल नवंबर में नोटिस जारी किया था, उसमें यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि, वह अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार LGBTQ (Lesbian, gay, bisexual, and transgender)  लोगों को उनके मौलिक अधिकार के हिस्से के रूप में दिया जाए।

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