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World Photography Day 2023: क्या है विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास, कब ली गयी पहली फोटो !

World Photography Day: तस्वीरें हर किसी के जीवन में काफी अहमियत रखती हैं। तस्वीरें लोगों के आम जीवन का हिस्सा होती हैं। साथ ही अपने साथ कई यादों को समेटे हुई होती हैं। यही नहीं तस्वीरों के माध्यम से लोग इतिहास को भी देखते और समझते हैं। तस्वीरों के इसी महत्त्व को समझाने के लिए हर वर्ष विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त को मनाया जाता है।

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मोबाइल और आधुनिक कैमरों के साथ वैसे तो कोई भी वर्तमान समय में फोटो निकाल सकता है। लेकिन वास्तव में फोटोग्राफी एक कला है। जिसमें चित्रकला और तकनीकी ज्ञान का संगम होता है। एक प्रोफेसनल फोटोग्राफर अपनी दृश्यगत दुनिया को रोचकता के साथ कैद कर सकता है। वह चित्रों के माध्यम से कहानियों को सुना सकते हैं। यह दिन फोटोग्राफर्स के कौशल को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। फोटोग्राफी ने न सिर्फ हम तक इतिहास और कहानियों को पहुंचाया, बल्कि समाज में जागरूकता लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके अलावा फोटोग्राफी ने विभिन्न समाज के कल्चर और जीवनशैली को समझने में भी अहम भूमिका अदा की है।

16 अगस्त World Photography Day।

16 अगस्त के दिन को फोटोग्राफी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उसे सम्मानित करते हैं। साथ ही इस कला को बढ़ावा देते हैं। क्योंकि तस्वीरों के जरिये वर्तमान में ये जाना जा सकता है कि इतिहास में क्या दर्ज है। तस्वीरें इतिहास के दर्पण की तरह काम करती हैं। जो हमे इतिहास की न सिर्फ जानकारी देती हैं बल्कि दिखाती भी हैं। फोटोग्राफी के माध्यम से वाइल्ड लाइफ, प्रकृति के मनोहर दृश्य आदि भी कैद किये जाते हैं। ये वो दिखाते हैं जो हम आप जीवन में नहीं देख पाते। एक बेहतरीन फोटोग्राफर अपनी पारखी नज़रों से कैमरे में प्रकृति की सुंदरता के साथ कई राज भी कैद करने में सक्षम होता है।

पहली तस्वीर कब ली गयी थी..?

अक्सर तस्वीरें देखते हुए हमने सोचा होगा कि आखिर पहली तस्वीर कब और कैसे ली गयी होगी। इतिहासकारों के मुताबिक पहली तस्वीर 1826 में ली गयी थी। यानी आज से 197 वर्ष पूर्व। यह तस्वीर एक खिड़की से ली गयी थी, जिसे जोसेफ नाइसफोर ने लिया था। 1826 में फ़्रांस के बरिये शहर में एक कैमरा ओब्स्कुरा (camera obscura) का उपयोग करके फर्द (Plate) पर पहली तस्वीर निकाली थी। इस तस्वीर को ”डगेरोटाइप” कहा जाता है और यह फोटोग्राफी की प्रारंभिक रूप मानी जाती है। डगेरोटाइप तकनीकी का उपयोग करते हुए वे एक कैमरे के माध्यम से चित्रित वस्तु को एक स्थायी इमेज(permanent image) के रूप में बना सकते थे।

9 जनवरी, 1839 को दुनिया की सबसे पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया का आविष्कार हुआ था। प्रक्रिया का नाम ”डगेरोटाइप” रखा गया था। इसका अविष्कार जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर नाम के दो वैज्ञानिकों ने किया था। इस टेक्नीक के अविष्कार का ऐलान फ़्रांस सरकार ने 19 अगस्त, 1839 में किया (सोर्स-विकिपीडिआ)। इसी लिए हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर इस दिन की शुरुआत 2010 में हुई थी। ऑट्रेलिया के एक फोटोग्राफर ग्रुप ने इस दिन एक साथ इकठ्ठा होने और इसका प्रचार प्रसार करने का फैसला किया।

जाने पहली तस्वीरें कौन सी छपी।

1839 का बुल्ब (Daguerreotype) में फ़्रांसिसी फोटोग्राफर लुई डैगेर डैगेरियोटाइप कैमरे का पहला प्रकाशन प्रस्तुत किया था। जिसका उपयोग तस्वीरें बनाने के लिए हुआ। ओटो वागनर का पहला समाचार फोटो 1848 में जर्मनी के फोटोग्राफर ओटो वागनर ने पहली समाचार फोटो दी। इसके बाद 19वीं शादी में मैथ्यू ब्रेडी विभिन्न समाचार क्षणों की तस्वीरें ली। जिसमें युद्ध के दौरान की क्राइम की तस्वीरें ली गयी थीं। आपको बता दें कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपनी पहली तस्वीर 1850 में प्रकाशित की थी। जिसमें मुंबई का एक समय का प्रमुख चौराहा दर्शाया गया था।

 

 

 

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