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बिजली ना होने से आम जन संकट में, आर्मी बुलानी पड़ी, हाईकोर्ट में आज चीफ इंजीनियर की पेशी

CHANDIGARH / LUCKNOW : चंडीगढ़(Chandigarh) में सोमवार रात से बिजली न होने से काफ़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक गुरुवार तक बिजली मिलने की उम्मीद नहीं है। स्थिति ये है कि इनवर्टर और मोबाइल भी अब डिस्चार्ज हो चुके हैं, जिससे लोग परेशान हैं। हालात इतने खराब है कि अस्पतालों ने ऑपरेशन टाल दिए हैं। निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारी फाल्ट सुधारने तैयार नहीं हैं। ऐसे में हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने सेना बुलाई है। वहीं, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Highcourt) ने इस समस्या का संज्ञान लिया और आज बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा है। बिजली विभाग का निजीकरण करने के निर्णय के खिलाफ शहर के बिजलीकर्मी 72 घंटे के लिए हड़ताल पर गए। हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि बिजली की समस्या के कारण केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि जरुरी संस्थान जैसे अस्पताल आदि को भी बिजली की समस्या हो रही है।

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बिजली ना होने से सारे काम बंद 

अस्पतालों (Hospital) कि स्थिति बेहद ख़राब है। मरीज बेहद नाजुक हालत में वेंटिलेटर पर मौजूद हैं। वहीं बिजली की समस्या के चलते ऑनलाइन कक्षाएं भी नहीं हो पा रही है। क्यों कि फ़ोन न चार्ज होने से लोगो को काफ़ी समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है वहीं कोचिंग सेंटर (Coaching Centre) भी बंद है। जिसकी वजह से समस्या का सामना करना अड़ रहा है। वहीं हाईकोर्ट के कई केस में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई नहीं हो पा रही है। क्योंकि कई वकीलों के घर बिजली नहीं है। बिजली न होने से मामला काफ़ी गंभीर होता जा रहा है।

बिजली नहीं होने से पानी के लिए परेशान लोग

सोमवार (Monday) शाम से चंडीगढ़ के हजारों घरों में बिजली-पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है और शहर के कई इलाकों में ट्रैफिक लाइटें (Trafic light) काम नहीं कर रही हैं। जिससे ट्रैफिक व्यवस्था भी बिगड़ चुकी है और पानी की कमी से काफी लोग परेशान है। कहा जाता है कि जल ही जीवन तो आम जन को काफ़ी परेशानी हो रही है।

बिजली कर्मचारी कर रहे विरोध

बता दें कि बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। हड़ताल खत्म करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली कर्मचारी संघ के साथ बैठक की और हड़ताल को ख़त्म करने के लिए राजी भी किया। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। वहीं कर्मचारी काफी डरे हुए भी है कि निजीकरण से उनकी सेवा शर्तों में बदलाव आएगा और बिजली की कीमतों को भी बढ़ा दिया जायेगा। वहीं आपको बता दे की प्रशासन और कर्मचारियों की इस लड़ाई में समय से बिजली के बिलों का भुगतान करने वाले शहरवासियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।

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