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मोहर्रम की गाइडलाइन्स जारी, ताजिया निकालने व मजलिस को लेकर बड़ा फैसला, मुस्लिमों में मचा हड़कंप

लखनऊ

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योगी की प्रदेश सरकार ने शनिवार को मोहर्रम के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करते हुए घरों में ताजिया रखने तथा किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन में कोविड गाइडलाइन्स का पालन करना अनिवार्य होगा, और इस प्रोटोकॉल के अनुसार अधिकतम 50 लोगों को ही कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दी गई है।

फोटो : इंटरनेट

अपर मुख्य सचिव के निर्देश

यह आदेश अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी की तरफ से जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए कंटेनमेंट जोन के बाहर धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन के संबंध में 19 जून 2021 को जारी शासनादेश का पालन कराया जाए।

50 लोगों को ही अनुमति

इसमें कंटेनमेंट जोन को छोड़कर शेष स्थानों पर धर्मस्थलों के अंदर परिसर के आकार को देखते हुए एक बार में एक स्थान पर अधिकतम 50 श्रद्धालुओं के एकत्र होने की अनुमति इस शर्त के साथ दी गई है कि मास्क, दो गज की दूरी, सैनेटाइजर का उपयोग तथा कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार अन्य सावधानियां अनिवार्य रूप से बरती जाएंगी।

जुलूस या ताजिया निकालने की अनुमति नहीं

फोटो : इंटरनेट

अपर मुख्य सचिव गृह ने कहा है कि मोहर्रम के अवसर पर किसी प्रकार का जुलूस या ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सार्वजनिक रूप से ताजिया एवं अलम भी स्थापित नहीं किए जाएंगे। ताजिया एवं अलम की स्थापना अपने-अपने घरों में किए जाने पर किसी प्रकार की रोक नहीं होगी।

शस्त्रों के प्रदर्शन पर होगी कड़ी कार्यवाही

उन्होंने किसी भी धार्मिक स्थल पर लोगों की भीड़ न एकत्र होने देने, संवेदनशील एवं कंटेनमेंट जोन में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती करने तथा सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी दशा में शस्त्रों का प्रदर्शन न होने देने तथा अवैध शस्त्र लेकर चलने वालों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

फोटो : इंटरनेट

कब है मोहर्रम? क्या है महत्त्व?

इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम का कहलाया जाता है। मुस्लिम समुदाय में इस महीने को काफी पाक माना जाता है। वहीं इस महीने के 10वें दिन को आशुरा मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लिए मोहर्रम  का काफी महत्व  है। इस साल मोहर्रम 19 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा।

मुहर्रम को शिया मुसलमानों के समुदाय द्वारा हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने और शोक करने की अवधि माना जाता है, जो मुहर्रम की पहली रात से शोक शुरू होता है और अगले 2 महीने और 8 दिनों तक जारी रहता है।

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