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UP Population Control Bill: जनसंख्या बिल का ड्राफ्ट तैयार, सीएम योगी ले सकते हैं बड़ा फैसला

लखनऊ

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यूपी के लॉ कमिशन ने सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ को जनसंख्या नियंत्रण कानून से जुड़े बिल का ड्राफ्ट सौंप दिया है। साथ ही आयोग ने कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी। सुचना के अनुसार, 17 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सीएम योगी इस बिल को पेश कर सकते हैं। लोगों के सुझावों के आधार पर ड्राफ्ट में संशोधन करके अंतिम प्रारूप तैयार किया गया।

फोटो : इंटरनेट

लगातार बढ़ रही जनसंख्या

राज्य विधि आयोग ने कानून बनाने के समर्थन में कहा है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच यूपी की जनसंख्या में करीब 20.23 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। गाजियाबाद में 42.26 प्रतिशत जनसंख्या की वृद्धि हुई है, वहीं लखनऊ, सीतापुर, बरेली और मुरादाबाद में यह आंकड़े 23 से लेकर 25.82 प्रतिशत तक है। अगर जनसंख्या इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो आने वाली पीढ़ी को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल मिलने में काफी समस्या आएगी।

दो बच्चे वालों को ग्रीन और एक बच्चे वालों को गोल्ड कार्ड

राज्य विधि आयोग ने विधेयक के प्रारूप में कहा है कि दो बच्चे वालों को ग्रीन और एक बच्चे वाले को गोल्ड कार्ड दिया जाए, जिससे योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें संबंधित दस्तावेज बार-बार न दिखाने पड़ें। इसके साथ ही ट्रांसजेंडर बच्चे को दिव्यांग माना जाए। अगर दो बच्चों में से एक ट्रांसजेंडर है, तो परिवार को तीसरे बच्चे की छूट होगी।

20 साल तक मुफ्त शिक्षा

फोटो : इंटरनेट

विधेयक के अनुसार, दो ही बच्चों तक परिवार सीमित करने वाले जो अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें दो अतिरिक्त इंक्रिमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, जैसी कई सुविधाएं दी जाएंगी। वहीं, एक संतान पर स्वैच्छिक नसंबदी करवाने वाले अभिभावकों की संतान को 20 साल तक मुफ्त शिक्षा, इलाज, बीमा, शिक्षण संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में वरियता दी जाएगी

बहुविवाह पर प्रावधान

आयोग ने ड्राफ्ट में धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत एक से अधिक शादियां करने वाले दंपतियों के लिए खास प्रावधान किए हैं। अगर किसी व्यक्ति की एक से अधिक शादियां करता है और सभी पत्नियों से मिलाकर उसके दो से अधिक बच्चे हैं तो वह भी सुविधाओं से वंचित होगा। परन्तु हर पत्नी सुविधाओं का लाभ ले सकेगी। वहीं, अगर महिला एक से अधिक विवाह करती है और अलग-अलग पतियों से मिलाकर दो से अधिक बच्चे होने पर उसे भी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।

निःशक्त बच्चे होने पर?

ऐक्ट लागू होते समय प्रेग्नेंट हैं या दूसरी प्रेग्नेंसी के समय जुड़वा बच्चे होते हैं तो इस स्तिथि में यह कानून के दायरे में नहीं आएगा। अगर किसी का पहला, दूसरा या दोनों बच्चे हैंडीकैप्ड हैं, तो उसे भी तीसरी संतान पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।

फोटो : इंटरनेट

सरकारी सुविधाओं से हो सकते है वंचित

कानून लागू हुआ तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथपत्र देना होगा कि वे इसका उल्लंघन नहीं करेंगे। कानून लागू होते समय उनके दो ही बच्चे हैं और शपथपत्र देने के बाद वे तीसरी संतान पैदा करते हैं तो प्रतिनिधि का निर्वाचन रद करने और चुनाव न लड़ने देने का प्रस्ताव है। सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन रोकने और बर्खास्त करने तक की सिफारिश है।

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