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स्वास्थ्य विभाग ने मुर्दे को लगा दी कोविड वैक्सीन, जानिए कैसे किया ये कारनामा

लखनऊ

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भले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नज़र आ रही हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ख़ासा चिंतित नज़र नहीं आ रहा है। इसीलिए उत्तरप्रदेश के बलरामपुर जिले में फर्जी वैक्सीनेशन का मामला प्रकाश में आया है। तहसील उतरौला क्षेत्र के बढ़या पकड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक मुर्दे को वैक्सीनेशन का दूसरा डोज़ दिए जाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में मौके पर चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच टीम गठित कर दी गई और टीम द्वारा जांच भी पूरी करके रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई है। जांच टीम के प्रभारी डॉ अरुण कुमार द्वारा स्वास्थ्य कर्मी द्वारा गंभीर भूल को मानवीय भूल करार देते हुए, गलती को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।

फोटो : इंटरनेट

उतरौला तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़या पकड़ी में 28 अगस्त को राजपति नामक महिला को कोविड वैक्सीन का दूसरा डोज लगाया गया है, जिसका प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। जबकि राजपति की मृत्यु 4 जून 2021 को हो चुकी है। ऐसे में मृत्यु के 2 महीने 24 दिन बाद वैक्सीनेशन कैसे संभव हो सकता है। यह एक बड़ा सवाल है।

मामले का मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और आनन-फानन में मामले की जांच के लिए टीम नया नगर के विशुनपुर फकीरापुर गांव भेज दिया। जांच टीम के प्रभारी डॉ अरुण कुमार ने बताया कि एक ही मोबाइल नंबर पर तीन से चार लोगों का वैक्सीनेशन कराया गया है, जिसके कारण राजपति की जगह राम सवारी का वैक्सीनेशन किया गया। दोनों लोगों का वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। इस गंभीर भूल को उन्होंने मानवीय भूल बताते हुए एएनएम सन्नी गुप्ता को अपने तरफ से क्लीनचिट दे दिया है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो गया मृतका का सर्टिफिकेट

फोटो : इंटरनेट

मृतक महिला के परिवार वालों इस बात की जब जानकारी हुई तब उन्होंने वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट डाउनलोड करके सोशल मीडिया पर डाल दिया। मृतका के भतीजे दीपक वर्मा ने वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट फेसबुक पर शेयर कर दिया, जो वायरल हो गया। इसके बाद एसीएमओ अरुण वर्मा के कान में जब ये बात पड़ी तो वे आनन फानन में मृतक महिला के घर पहुंच गए और मामले की तहकीकात शुरू की। एसीएमओ ने मृतक महिला को वैक्सीन लगाए जाने के सवाल पर कहा कि ये एक मानवीय भूल है। ऑपरेटर की गलती से मृतका को वेरीफाई कर दिया गया। जिससे उसका वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया।

फोटो : इंटरनेट

इस मामले पर मृतका के भतीजे दीपक वर्मा का कहना है कि निश्चित रूप से स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंभीर फर्जीवाड़ा किया गया है। ऐसे पता नहीं कितने फर्जी वैक्सीनेशन होता होगा। अब देखने वाली बात होगी कि स्वास्थ्य विभाग पूरे मामले पर क्या कार्रवाई कर रहा है और कोविड वैक्सिनेशन के तरस रहे लोगों को कैसे न्याय दिलवा जाता है।

एससीएमओ ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच की जा चुकी है। यह महज एक केस ही सामने आया है। ऐसे अन्य किसी मामले में लापरवाही नहीं मिली है, इससे यह साफ होता है कि ये मानवीय गलती से हुआ है। किसी ने जानबूझकर ऐसा काम नहीं किया है।

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