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KGMU में हर हफ्ते भर्ती हो रहे Sexual Abuse के शिकार बच्चे, एक्सपर्ट्स से जानें कारण और बचाव !

लखनऊ : हाल ही के दिनों में मासूम बच्चों के साथ सेक्शुअल अब्यूज़ (sexual abuse) की घटनाएं काफी तेज़ी बढ़ रही हैं। लखनऊ (Lucknow) के केजीएमयू (KGMU) में हर सातवें दिन दुष्कर्म पीड़ित एक बच्चा भर्ती कराया जा रहा है। पीड़ितों की लिस्ट में लड़कियां व लड़के दोनों शामिल हैं। लेकिन इनमें लड़कियों का प्रतिशत ज़्यादा है। यानी लडकियां सेक्शुअल अब्यूज़ की ज़्यादा शिकार हो रही हैं।

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हर हिस्से से केजीएमयू में मरीज़ लगातार आ रहे हैं। मरीज़ों की संख्या में हर दिन इज़ाफ़ा हो रहा है। डॉक्टर्स (doctors), मेडिकल एक्सपर्ट्स (medical experts), मनोवैज्ञानिक (psychologists) और साइबर विशेषज्ञ (cyber experts) की इसपर अलग-अलग थ्योरी निकल कर सामने आ रही है। यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों के लिए इन सभी के द्वारा अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं।

फोटो : इंटरनेट

सबसे बड़ी ज़िम्मेदार पोर्नोग्राफी

जब बात बच्चों की आती है तो उनके साथ इस तरह की घटनाओं के लिए सबसे बड़ी ज़िम्मेदार पोर्नोग्राफी (pornography) है। इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए बच्चों को अपना शिकार बनाना काफी आसान होता है। छोटे, मासूम बच्चे इस बारे में किसी को बता भी नहीं पाते हैं। और इसी बात का फायदा इन घटनाओं को अंजाम देने वाले उठाते हैं।

ओटीटी है सॉफ्ट पोर्न का अड्डा

इस पर जब Live UP News ने साइबर एक्सपर्ट रुद्रप्रताप दुबे (cyber expert Rudrapratap Dubey) ने बताया कि ओटीटी से इस तरह का कंटेंट परोसा जा रहा है। सेंसर के लूफोल्स का फायदा उठा कर जो कटेंट अपलोड किया जा रहा है वो माननीय नैतिकता के खिलाफ है। बच्चों और महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। कंटेंट क्रिएटर्स ने इसे सॉफ्ट पोर्न का अड्डा बनाया हुआ है।

उन्होंने आगे बताया कि यहां से निकला हुआ पोर्न न केवल लोगों को आकर्षित कर रहा है बल्कि वो यह भी बता रहा है कि पोर्न कंटेंट अपलोड करने के आपको पैसे मिलेंगे। एक छिपी हुई अवधारणा यह है कि बलात्कार या यौन शोषण के पीछे इतनी बढ़ी बढ़ोत्तरी इसी लिए हुई है क्योंकि मोबाइल पर पोर्न कंटेंट उपलब्ध है। इसके लिए ओटीटी एक बड़ा जाइए रही है। सरकार को इसपर काम करना चाहिए।

ऑनलाइन क्लास के वक़्त मासूमों तक पहुंचा पॉर्न

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक पोर्नोग्राफी परोसने का सबसे बड़ा जरिया ओटीटी पर मिल रहा कंटेंट है। इसकी रिलीज से लेकर इसे देखने वालों तक किसी पर भी कोई भी पाबंदी नहीं लगाई गई है। यहां तक कि इसे किस आयुवर्ग के लोग देख रहे हैं ये भी पता लगाना संभव नहीं है। और यही वजह है कि कुछ तथ्य यह भी सामने आ रहे हैं कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासिज़ (online classes) के लिए बच्चों के हाथ में मोबाइल तो थमा दिया गया। लेकिन वो इसका प्रयोग कैसे कर रहे हैं, इसपर किसी की नज़र नहीं गई।

फोटो : इंटरनेट

अपने बच्चों को कैसे बचाएं

मोबाइल फोन ने पोनोग्राफी को मासूम बच्चों तक पहुँचाने में बड़ा किरदार निभाया है। 10 साल से कम उम्र के बच्चों पर पोर्नोग्राफी का बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है। इस मामले पर मनोवैज्ञानिक डॉ आलोक चांटिया (Dr. Alok Chantia) की बातें आपके लिए और आपके बच्चों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती हैं।

फोटो : इंटरनेट

डॉ आलोक चांटिया ने बताया कि बच्चा जो है 3 साल की उम्र से ही सैक्स ओरिएंटेशन (sex orientation) की तरफ जाने लगता है। वो इन चीज़ों की तरफ ज़्यादा अचंभित और आकर्षित होता है। बच्चा वीडियो देखकर जान तो लेता है कि पोर्न क्या है लेकिन उनके परिणामों के बारे में उसे जानकारी नहीं होती है। और यही वजह है कि जब कोई उनके साथ इस तरह का व्यवहार करता है तो वह मासूमियत के चलते आगे बढ़ जाता है। लेकिन जब उसके परिणाम को पाने शरीर में महसूस करता है तो वह चुप हो जाता है। बच्चा इन बातों को या तो बता नहीं पता है या काफी देर से बताता है।

कुछ यह भी हैं कारण

बता दें कि कई बार ऐसा भी होता है कि जो बच्चे भावनात्मक या शारीरिक रूप से प्रताड़ना के शिकार होते हैं, वो भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर खुद को शक्तिशाली महसूस करते हैं। वहीं, मानसिक रूप से बीमार लोग भी मासूमों से दुष्कर्म जैसा घिनौना काम करते हैं। वहीं कई बार आपके कई दुश्मन भी प्रतिशोध के चलते इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं। इन सब के अलावा mental illness और depression, ये दो टर्म ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए काफी ज़िम्मेदार माने जा रहे हैं।

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