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Diwali 2024 : आखिर क्यों दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?

Diwali 2024 : आखिर क्यों दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?

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दीपावली का पर्व आदि काल से मनाया जाता है। दिवाली के कई दिनों पहले से ही घरों में दिवाली की तैयारियां और माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लेकिन जब भी लक्ष्मी पूजा की बारी आती है, तो अधिकतर घरों में बच्चे ये दो प्रश्न अवश्य पूछते हैं – पहला, जब दीपावली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है, तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नहीं? दूसरा, दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं?

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दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसके पीछे की लोककथा सभी जानते हैं। फिर भी, इन दो प्रश्नों का उत्तर अधिकांशतः बच्चों को नहीं मिल पाता और जो मिलता है, उससे बच्चे संतुष्ट नहीं होते। आज के समय में कुछ ‘लिबरल्स’ लोग युवाओं और बच्चों के मस्तिष्क में यह प्रश्न डाल रहे हैं कि लक्ष्मी पूजन की विशेषताएं क्या हैं, जबकि दीपावली का उत्सव राम से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर, वे बच्चों का ब्रेनवॉश कर रहे हैं कि सनातन धर्म और सनातन त्योहारों का आपस में कोई संबंध नहीं है, और सनातन धर्म बेकार है।

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यह जानना ज़रूरी है कि दीपावली का उत्सव दो युगों, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रकट हुई थीं, इसलिए लक्ष्मी जी का पूजन होता है। वहीं त्रेता युग में भगवान राम इसी दिन अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसीलिए इसका नाम दीपावली पड़ा। इस पर्व के दो नाम हैं: पहला, लक्ष्मी पूजन जो सतयुग से जुड़ा है, और दूसरा, दीपावली जो त्रेता युग में प्रभु राम और दीपों से जुड़ा है।

आखिर क्यों दीवाली पर लक्ष्मी गणेश की होती है पूजा?

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लक्ष्मी जी सागर मंथन से प्रकट हुई थीं, जिसके बाद भगवान विष्णु ने उनसे विवाह कर उन्हें धन और ऐश्वर्य की देवी बना दिया। लक्ष्मी जी ने धन वितरण के लिए कुबेर को अपने साथ रखा, लेकिन कुबेर बड़े ही कंजूस थे और धन को बांटते नहीं थे। इस कारण माता लक्ष्मी नाराज़ हो गईं और अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने सुझाव दिया कि वे कुबेर के स्थान पर किसी और को धन वितरण का कार्य सौंप दें।

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माँ लक्ष्मी ने गणेश जी की बुद्धिमत्ता का उपयोग करने का निर्णय लिया। गणेश जी ने यह ज़िम्मेदारी संभाली और कुबेर के साथ बैठ गए। गणेश जी ने लोगों के सौभाग्य के मार्ग में आने वाली विघ्नों को दूर कर दिया, जिससे धन का प्रवाह होने लगा। गणेश जी की ममता और कृपा देखकर माँ लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जहां वे अपने पति नारायण के साथ न होंगी, वहां उनका पुत्रवत श्री गणेश उनके साथ होंगे।

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दीपावली कार्तिक अमावस्या को आती है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को जागते हैं। शरद पूर्णिमा से दीपावली के बीच के पंद्रह दिनों में माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण के लिए आती हैं, इसलिए वे अपने मानस पुत्र गणेश जी को अपने साथ ले आती हैं। इसीलिए दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है।

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