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गोरखपुर का ऐतिहासिक मां तरकुलहा देवी मंदिर, जिस्सके किस्से जानकर उड़ जायेंगे आपके होश !

गोरखपुर: गोरखपुर जिले के देवरिया रोड पर स्थित मां तरकुलहा देवी मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों का अद्वितीय संगम है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी कहानियों से भी जुड़ा है। यहां से केवल आध्यात्मिक शांति ही नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान की गाथा भी जुड़ी हुई है।

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मां तरकुलहा देवी मंदिर का इतिहास सीधे तौर पर चौरीचौरा के वीर स्वतंत्रता सेनानी बाबू बंधू सिंह से जुड़ा हुआ है। बाबू बंधू सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का बीड़ा उठाया और यहां मां की पूजा करके अपने अभियानों को सफल बनाने की शक्ति पाई। कहा जाता है कि उन्होंने कई अंग्रेज अधिकारियों का सिर कलम कर मां को अर्पित किया। अंग्रेजों ने उन्हें पकड़कर फांसी की सजा दी, लेकिन सात बार फांसी का फंदा टूट गया। आखिरकार, आठवीं बार उन्होंने खुद फंदा डाला, जिसके बाद उन्हें फांसी दी गई। उस वक्त मंदिर के पास स्थित तरकुल के पेड़ से खून बहने लगा, जिसे मां का चमत्कार माना गया।

यह मंदिर क्रांतिकारियों का एक गुप्त स्थल भी था, जहां से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अपने अभियानों की योजना बनाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह स्थान ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन गया। यहां हर साल चैत राम नवमी से एक माह तक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु जुटते हैं।

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