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रविवार की छुट्टी क्यों दी जाती है? भारत में ये छुट्टी सबसे पहले किसने दिलाई

रविवार की छुट्टी की शुरुआत सबसे पहले ईसाई धर्म में हुई थी। ईसाई धर्म में रविवार को प्रभु का दिन माना जाता है और इस दिन ईसाई धर्म के अनुयायी चर्च जाते हैं। ईसाई धर्म के प्रसार के साथ ही रविवार की छुट्टी की प्रथा भी दुनिया भर में फैल गई।

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भारत में रविवार की छुट्टी की शुरुआत 1890 में हुई थी। तब ब्रिटिश सरकार के अधीन भारत में मजदूरों का शोषण होता था। मजदूरों को पूरे सप्ताह काम करना पड़ता था और उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिलती थी। इस शोषण के खिलाफ मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने आंदोलन शुरू किया। उनके आंदोलन के परिणामस्वरूप 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने रविवार को छुट्टी घोषित कर दी।

 

दोपहर में खाना खाने की भी छुट्टी दिलाई

बहुत लम्बे समय तक चले इस जद्दोजहद में आखिर 7 वर्ष बाद 10 जून, 1890 को श्री मेघाजी लोखंडे का प्रयास सफल हुआ और अंग्रेजी हुकूमत को रविवार के दिन सबके लिए अवकाश घोषित करना पड़ा। श्री मेघाजी लोखंडे के इस प्रयास को सम्मान देने के लिए 2005 में उनके नाम का डाक टिकेट भी जारी किया गया था। इतना ही नहीं दोपहर में आधे घंटे खाना खाने के लिए भी छुट्टी उन्हीं के प्रयास से मिली थी।

 

क्यों रविवार को ही शुरू हुई छुट्टी

रविवार को सप्ताह का पहला दिन माना जाता है। ऐसे में सप्ताह के पहले दिन छुट्टी हो जाने से सारा सप्ताह मन शांत रहता है, सभी कार्य सफल होते हैं और किसी भी प्रकार की बाधा या परेशानी उत्पन्न नहीं होती। किसी भी व्यक्ति को अपनी ये परम्पराएं निभाने में कोई परेशानी न हो, इसलिए पुरातन काल से ही रविवार को अवकाश मनाया जाता है।

 

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